तारामंडल

तारामंडल


तारामंडल, या नक्षत्र, आकाश में दिखाई देने वाले अनेक धुंधले तारों में चमकीले तारों के कुछ समूह है। तारों के ये समूह कुछ निश्चित आकृतियों या रूपों में दिखाई पड़ते है। अति प्राचीन काल के मनुष्यों को इन तारामंडलों की आकृतियाँ कुछ ज्ञात वस्तुओं, जंतुओं एवं पौराणिक चरित्रों जैसी दिखाई दी। तारों के इन समूहों को अनुरूपी आकृतियों के हिसाब से नाम दे दिए गए। ऐसे कुछ समूह है: सप्तऋषि, मृग, हंस, हाइड्रा , हरकुलीज इत्यादि। तारामंडलों में समय के साथ बड़ा बदलाव हुआ हैं। हमारी आधुनिक दुनिया में तारामंडलों को सटीकता से परिभाषित किया गया है। अब आसमान का हर सितारा ठीक एक तारामंडल में मौजूद है। 1929 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (आईएयू) ने आधिकारिक तौर पर नए सिरे से नक्षत्र की सीमारेखाओं को परिभाषित किया, और 88 तारामंडलों का खाका खींचा, जो आज भी प्रचलन में है। इनमें सबसे बड़ा हाइड्रा तारामंडल है, जिसमे नग्न आंखों से भी कम से कम 68 तारें दिखाई पड़ते है। सेंटारस तारामंडल में 94 तारें है। राशिचक्र बारह तारामंडल शामिल करते है।

पृथ्वी का घूर्णन और सूर्य के इर्दगिर्द उसकी कक्षा तारामंडल को दो समूहों में विभाजित करते हैं। कुछ तारामंडल न कभी उदित होते है, और न कभी अस्त होते है, ऐसे तारामंडल परिध्रुवी कहलाते है, तथा बाकी सभी मौसमी तारामंडल कहलाते है। कौन सा तारामंडल परिध्रुवी है, और कौन सा मौसमी है, यह अक्षांश पर निर्भर करता है।