उल्कापिंड

पृथ्वी पर गिर रहा एक उल्कापिंड
ल्कापिंड वें छोटे पिंडक है जो संभवतः दो क्षुद्रग्रहों के टकराव के परिणामस्वरूप छिटक कर पृथ्वी की सतह पर गिर पड़ते है । यह पिंडक वायुमंडल मे प्रवेश करते ही घर्षण के कारण चमक उठतें है और जलकर भष्म हो जाते है। आगंतुक पिंण्डक कभी कभी इतने बड़े होते है कि पूरी तरह से नष्ट नहीं हो पाते और धरातल से टकरा जाते है। पृथ्वी की काया पर इसके कई निशान मौजूद है। ऐसा माना गया है कि इसी तरह की एक टक्कर ने डायनासौर नामक सरीसृपों की संपुर्ण प्रजाति का धरती से नामोनिशान मिटा दिया था। हाल ही में रूस में उल्का के क़ुछ टुकडे गिरने के प्रमाण मिले है।