एरिस

           
एरिस की कक्षा 


एरिस हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा वामन ग्रह है। एरिस इतना दूर है कि नग्न आँखों से इसे हम नहीं देख सकते। यहाँ तक कि उस दूरबीन से भी नहीं जिससे मंगल या बृहस्पति ग्रह को हम आसानी से देख लेते है | एरिस को पहले UB 313 के रूप में जाना गया था। वर्तमान अधिकारिक नाम मिलने से पहले इसका मौखिक नाम ज़ेना था | एरिस को 5 जनवरी, 2005 को माइक ब्राउन, चाड त्रुजील्लो और डेविड रेबिनोविट्ज़ ने पालोमर वेधशाला, केलिफोर्निया में प्लूटो से तीन गुना दूरी पर क्यूपर पट्टिका के उस पार बाह्य सौरमंडल में पाया था |

हालांकि एरिस वामन ग्रह है, पर ग्रह होने की खगोलीय संघ की अधिकांश शर्तो को यह पूरा करता है। इसका गुरुत्व गोलाकार रूप धारण करने लायक पर्याप्त नहीं है। एरिस सर्वाधिक दूरी पर देखा गया प्रथम निकाय है जो सूर्य की परिक्रमा करता है | सूर्य की परिक्रमा यह 557 वर्षों में करता है | एरिस की कक्षा असामान्य रूप से अंडाकार होने से कभी यह सूर्य से बेहद करीब (38 AU) तो कभी दूर (97 AU) होता है |  डाइस्नोमीया एरिस का एक मात्र उपग्रह है जो उससे आठ गुना छोटा है। यह अपने स्वामी वामन ग्रह का चक्कर दों सप्ताह में लगाता है।

एरिस की खोज के साथ ही यह तय हो गया था कि हमारे सौरमंडल में ग्रहों की संख्या अब बदलने वाली है | एरिस के आकार ने समूचे खगोलविद् जगत को चौंका दिया था | आकार में प्लूटो से भी बड़ा एरिस क्या हमारा दसवां ग्रह है ? वैज्ञानिक रात और दिन इसी उधेड़बुन में लगे हुए थे। उनकी यह कौतूहलता बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं रही | सन 2006 में ग्रहों के लिए घोषित खगोलीय संघ की नई परिभाषा ने एरिस को वामन ग्रहो की सूची में रखा। केवल इतना ही नहीं प्लूटो के ग्रह का दर्जा भी छीन लिया। इस तरह हमनें एक नया ग्रह पाने की बजाय अपना एक पुराना ग्रह खो दिया। हमारे सौरमंडल में अधिकारिक तौर पर अब मात्र आठ ग्रह है |