शनि ग्रह |
शनि सबसे खुबसूरत ग्रह है । इसकी अनूठी पहचान इनके छल्ले है जो छोटे-छोटे शैलखण्डों से बने है। यह शैलखण्ड ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते रहते है । शनि ग्रह पृथ्वी से सौ गुना वजनी है। इस ग्रह को लाल दानव भी कहा गया है । हालांकि यह पीले रंग का ग्रह है । शनि पर तापमान शून्य से नीचे सौ डिग्री तक है। शनि के अनेकों उपग्रह है । टाइटन इनमे सबसे बड़ा है। शेष उपग्रह काफी छोटे है। शनि के कुछ उपग्रह है - एटलस, एपिमिथियस, जैनस, मिमस, हेलेन, रिया, हाइपेरियन, एन्सिलेडस, टेथिस, कैलिप्सो, टेलेस्टो, डायोन, लैपेटस और फ़ोएब इत्यादि। शनि का अपना वायुमंडल भी है लेकिन तापमान न्यून होने से यहां जीवन की कोई संभावना नहीं है। शनि के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने के लिए न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान को भेजा गया है। फ़िलहाल यह अपनी आधी दूरी तय कर चुका है। संभवतः शनि तक यह 2015 में पहुँच जायेगा।
अंवेषण
शनि अपने खूबसूरत छल्लों के लिए मशहूर है | आधुनिक शौकिया खगोलविदों की दूरबीन में यह आसानी से पकड़ में आ जाता है । भू-आधारित बड़ी दूरबीनों ने तो कई दशकों तक ग्रह को अंवेषित किया है । प्रथम नजदीकी तस्वीरें 1980 और 1981 में ली गई जब दों वोंयजर यान शनि के करीब से होकर गुजरे। 2004 में कैसिनी अंतरिक्ष यान ने शनि के निकट की कक्षा हासिल कर छल्लों व उपग्रहों समेत ग्रह का विस्तृत अंवेषण आरंभ किया ।
रुपरेखा
शनि की अतीत की तस्वीरें केवल फीकी धारियां दर्शाती है। लेकिन वोंयजर, कैसिनी और हबल दूरदर्शी के चित्र, पट्टों और क्षेत्रों की मौजूदगी की पुष्टि करते हैं। यह तस्वीरें बताती है कि धारियों से संबद्ध हवाएं बृहस्पति की हवाओं से भी तीन गुना तक तीव्र हैं। हालांकि बृहस्पति की तुलना में शनि की धारियां फीकी है क्योंकि वे मीथेन धुन्ध की एक परत के भीतर शनि के गहरे ठंडे वातावरण में दबी हुई है।
शनि अपने खूबसूरत छल्लों के लिए मशहूर है | आधुनिक शौकिया खगोलविदों की दूरबीन में यह आसानी से पकड़ में आ जाता है । भू-आधारित बड़ी दूरबीनों ने तो कई दशकों तक ग्रह को अंवेषित किया है । प्रथम नजदीकी तस्वीरें 1980 और 1981 में ली गई जब दों वोंयजर यान शनि के करीब से होकर गुजरे। 2004 में कैसिनी अंतरिक्ष यान ने शनि के निकट की कक्षा हासिल कर छल्लों व उपग्रहों समेत ग्रह का विस्तृत अंवेषण आरंभ किया ।
रुपरेखा
शनि की अतीत की तस्वीरें केवल फीकी धारियां दर्शाती है। लेकिन वोंयजर, कैसिनी और हबल दूरदर्शी के चित्र, पट्टों और क्षेत्रों की मौजूदगी की पुष्टि करते हैं। यह तस्वीरें बताती है कि धारियों से संबद्ध हवाएं बृहस्पति की हवाओं से भी तीन गुना तक तीव्र हैं। हालांकि बृहस्पति की तुलना में शनि की धारियां फीकी है क्योंकि वे मीथेन धुन्ध की एक परत के भीतर शनि के गहरे ठंडे वातावरण में दबी हुई है।
गठन
शनि ग्रह पानी से हल्का है, जो सुझाव देता है कि यह बृहस्पति की तरह हाइड्रोजन और हीलियम से समृद्ध है। शनि ग्रहों में सर्वाधिक चपटा है, यह प्रमाण बताता है कि भारी तत्वों से युक्त एक छोटे से कोर के अलावा इसकी अंदरूनी बनावट ज्यादातर तरल है । चूँकि आंतरिक दबाव कम है, शनि के पास बृहस्पति से कम तरल धातु हाइड्रोजन है । शायद यही वजह है कि शनि का चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पति की तुलना में 20 गुना कमजोर है । बृहस्पति की तरह, शनि ग्रह भी सूर्य से ग्रहण की गई ऊर्जा की तुलना ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करता है। मॉडल पुष्टि करते है कि शनि का आंतरिक भाग बेहद तप्त है।
शनि ग्रह पानी से हल्का है, जो सुझाव देता है कि यह बृहस्पति की तरह हाइड्रोजन और हीलियम से समृद्ध है। शनि ग्रहों में सर्वाधिक चपटा है, यह प्रमाण बताता है कि भारी तत्वों से युक्त एक छोटे से कोर के अलावा इसकी अंदरूनी बनावट ज्यादातर तरल है । चूँकि आंतरिक दबाव कम है, शनि के पास बृहस्पति से कम तरल धातु हाइड्रोजन है । शायद यही वजह है कि शनि का चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पति की तुलना में 20 गुना कमजोर है । बृहस्पति की तरह, शनि ग्रह भी सूर्य से ग्रहण की गई ऊर्जा की तुलना ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करता है। मॉडल पुष्टि करते है कि शनि का आंतरिक भाग बेहद तप्त है।
उपग्रह
शनि के करीब- करीब 50 ज्ञात चन्द्रमा है। उनमे से कई छोटे हैं। सभी बर्फ व चट्टान के मिश्रित पिंड है । संभवतः अनेक हथियाएं गए चन्द्रमा है । शनि का सबसे बड़ा चन्द्रमा टाइटन है, जो बुध ग्रह से थोड़ा सा बड़ा है । टाइटन का घनत्व बताता है कि इसके पास एक मोटे बर्फीले प्रावर के अंतर्गत एक चट्टानी कोर होना चाहिए । टाइटन इतना ठंडा है कि गैस के अणु तेज दौड़कर इससे बचकर भाग नहीं सकते है । इसका वातावरण ऑर्गन और मीथेन के अंश के साथ मुख्य रूप से नाइट्रोजन से बना है । सूर्य का प्रकाश कुछ मीथेन को जटिल कार्बन युक्त अणुओं में तब्दील करता है जो छोटे कणों में इकट्ठा होकर नारंगी कोहरे के साथ वातावरण में भर रहा है । यह कण धीरे-धीरे धरातल पर बस गए है ।