शुक्र पारगमन

शुक्र पारगमन


शुक्र पारगमन 243 वर्षों में करीब चार बार होते है। इस लंबे अंतराल की वजह ये है कि पृथ्वी और शुक्र का कक्ष यानि परिक्रमा करने का रास्ता अलग-अलग है। ये एक लंबे अरसे के बाद ही एक दुर्लभ खगोलीय संयोग के बाद एक सीध में आते हैं। टेलीस्कोप के अविष्कार के बाद ये नजारा अब तक सात बार ही दर्ज किया गया है। इससे पहले आए शुक्र पारगमन 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882, 2004 और 2012 को देखे गए है। शुक्र के पारगमन आठ-वर्षीय अंतराल वाले जोड़ो मे होते है जो सौ से भी ज्यादा वर्षों मे दोहराए जाते है। अंतिम पारगमन जोड़ा 2004 व 2012 में देखा गया। अगला पारगमन जोड़ा 2117 व 2125 में ठीक आठ वर्षों के अंतराल मे फ़िर दोहराया जाएगा और उसके बाद फिर से वहीं सौ सालों का लंबा इंतजार।