बिगबैंग |
बिगबैंग, सृष्टि के उदभव और उसके विकास का व्यापक स्वीकार्य सिद्धांत है। यह सिद्धांत कहता है, आज से चौदह अरब वर्ष पूर्व तक समग्र ब्रह्मांड ऊर्जा रूपी सूक्ष्म बिंदु में सिमटा हुआ था। तब इस बिंदु का तापमान और घनत्व अनंत था। तब न तो समय आरंभ हुआ था, न प्रकाश का उदय हुआ था, और न ही अंतरिक्ष अस्तित्व में आया था। एक विस्फोट हुआ और पल भर में बिंदु का आकार अनंत हो गया। सारी ऊर्जा चहुँ ओर फ़ैल गई। कालांतर में धीरे-धीरे तापमान गिरने लगा। द्रव्यमान का प्रादुर्भाव हुआ। प्राथमिक कणों ने आकार लेना शुरू किया। फिर यह क्रम चलता ही गया। मूल कणों के मेल से परमाणु अस्तित्व में आये। उसके बाद अणु, पदार्थ, ग्रह, उपग्रह ,तारें, आकाशगंगाएं एक के बाद एक बनते चले गए। इस प्रकार यह प्रक्रिया अनवरत चलती हुई वर्तमान ब्रह्मांड तक पहुंची है, जिसमें हम निवास करते है।
अवधारणा
सन 1905 में सृष्टि की उत्पत्ति से संबंधित एक धारणा प्रस्तुत की गई जो महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षवाद पर आधारित थी। बेल्जियम के एक वैज्ञानिक ऐबे लमेत्रे ने अपने विचार प्रकट कर बताया कि ब्रम्हांड की उत्पत्ति अणु से हुई है। इस महा अणु के विस्फोट से इसके अंदर विद्यमान सारे पदार्थ छितरा गए, और ब्रह्मांड को अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ। एक अन्य धारणा के अनुसार ब्रह्मांड की न तो कोई शुरुआत है और न कोई अंत है। इसमें पदार्थ का विभाजन सदा एक सा रहा है न कम न ज्यादा। जैसे-जैसे इनकी आकाशगंगाएं छितराते जाती है, वैसे-वैसे उनकी पूर्ति हेतु नयी आकाशगंगाओ के लिए आवश्यक पदार्थ और इकट्ठा होता जाता है। इसे संतुलित ब्रह्मांड का सिद्धांत कहते है।
सन 1905 में सृष्टि की उत्पत्ति से संबंधित एक धारणा प्रस्तुत की गई जो महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षवाद पर आधारित थी। बेल्जियम के एक वैज्ञानिक ऐबे लमेत्रे ने अपने विचार प्रकट कर बताया कि ब्रम्हांड की उत्पत्ति अणु से हुई है। इस महा अणु के विस्फोट से इसके अंदर विद्यमान सारे पदार्थ छितरा गए, और ब्रह्मांड को अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ। एक अन्य धारणा के अनुसार ब्रह्मांड की न तो कोई शुरुआत है और न कोई अंत है। इसमें पदार्थ का विभाजन सदा एक सा रहा है न कम न ज्यादा। जैसे-जैसे इनकी आकाशगंगाएं छितराते जाती है, वैसे-वैसे उनकी पूर्ति हेतु नयी आकाशगंगाओ के लिए आवश्यक पदार्थ और इकट्ठा होता जाता है। इसे संतुलित ब्रह्मांड का सिद्धांत कहते है।
प्रमाण
बिगबैंग सिद्धांत महज कोरी कल्पना भर नहीं है। ब्रह्मांड में अनेकों पुख्ता प्रमाण पाये गये है जो बिगबैंग सिद्धांत को आधार प्रदान करते है। ऐसा ही एक प्रमाण हमें ब्रह्मांडीय सूक्ष्म तरंग पृष्ठभूमि के रूप में प्राप्त हुआ है। यह वह ऊर्जा है जो ब्रह्मांड के निर्माण के पश्चात बच गई है, जो आज समस्त ब्रह्मांड भर में व्याप्त है, और किसी निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने लायक नहीं रह गयी है। एक और प्रमाण प्रसारित ब्रह्मांड के रूप में हमारे सामने मौजूद है। एडविन हबल ने आकाशगंगाओं का अध्ययन कर पाया कि हमारा ब्रह्माण्ड एक निश्चित दर से फ़ैल रहा है। यदि पूरे परिदृश्य को वापस भूतकाल की ओर ले जाएं तो आप ब्रह्मांड को एक बिंदु पर केंद्रित होना पायेंगे। ब्रह्माण्ड में हाइड्रोजन व हीलियम जैसे हल्के तत्वों की बहुतायत इस सिद्धांत का वजन बढाती है।