सूर्य

सूर्य

सूर्य मध्यम आकार का तारा है। यह सौर परिवार का मुखिया है। सौरमंडल के सभी सदस्य ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह आदि निरंतर उसकी परिक्रमा करते है। सौर ऊर्जा जीवन का आवश्यक अंग है। पौधों में संश्लेषण क्रिया सूर्य प्रकाश के माध्यम से होती है। संश्लेषण क्रिया से ऑक्सीजन पैदा होती है जो हमारे लिए जीवनदायिनी है। यह सौरमंडल का सबसे बड़ा निकाय है। सौरमंडल का अधिकाँश द्रव्यमान सूर्य के पास है। हाइड्रोजन व हीलियम सूर्य के मुख्य अवयव है। शेष तत्व अंशमात्र है। सूर्य का जन्म आज से पांच अरब वर्ष पूर्व हुआ है। वैज्ञानिकों का अनुमान है इतने ही वर्ष यह और जीवित रहेगा। यह अपने जीवन के मध्यकाल में है। इसका अंत एक श्वेत वामन के रूप में होगा। सूर्य नाभकीय ऊर्जा से दहकता है। यह ऊर्जा संलयन क्रिया से उत्पन्न होती है जिसके लिए आवश्यक इंधन उसके भीतर ही मौजूद है। संलयन से हर सेकण्ड तकरीबन सत्तर करोड़ टन हाइड्रोजन हीलियम में तब्दील होती है। इस प्रक्रिया में कुछ हिस्सा ऊर्जा में बदल जाता है। सूर्य अपनी धूरी पर घूमने के साथ आकाश गंगा के केंद्र की भी परिक्रमा करता है। सूर्य ठोस पिंड नहीं है इस कारण विभिन्न हिस्सों की घूर्णन गतियों में अंतर है। ध्रुवों पर घूर्णन गतियां तेज है वहीं विषुववृत्त पर धीमी है। सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र बहुत शक्तिशाली है साथ ही यह उतना जटिल भी है। इसके गुरुत्व का असर प्लूटो के परे तक है। सूर्य के अध्ययन के लिए पृथ्वी और अंतरिक्ष दोनों जगह पर वेधशाला स्थापित की गई है। अंतरिक्ष में स्थापित ऐसी ही एक वेधशाला सोहो की नजर कई वर्षों से सूर्य पर टिकी हुई है।


निवास
सूर्य हमारी आकाशगंगा के अरबों तारों में से एक है। आकाशगंगा के केंद्र से यह छब्बीस हजार प्रकाश वर्ष दूर है। हमारी आकाशगंगा एक लाख प्रकाश वर्ष लम्बी-चौड़ी है। सूर्य आकाशगंगा के किनारे ओरियन स्पर नामक भुजा पर स्थित है। सूर्य आकाशगंगा के केंद्र का चक्कर करीब पच्चीस करोड़ वर्ष में लगाता है। यह अवधि गांगेय वर्ष कहलाती है।


आकाशगंगा


संरचना
सूर्य उत्तरोत्तर कई परतों से मिलकर बना है। इन परतों के बीच कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है। प्रत्येक परत अपना विशिष्ट गुणधर्म रखती है। सूर्य के केंद्र में क्रोड़ है। यह क्रोड़ पचास हजार किमी मोटी फोटोस्फेयर परत के आवरण से घिरा है। सौर धब्बे प्रायः इसी परत में पाए जाते है। यह धब्बे असल में तुलनात्मक रूप से कम तापमान वाले क्षेत्र है। फोटोस्फेयर से सटी सूर्य की सबसे ऊपरी परत क्रोमोस्फेयर है। क्रोमोस्फेयर के बाहर का अति दुर्लभ क्षेत्र कोरोना है। कोरोना अंतरिक्ष में लाखो किमी तक फैला हुआ है। इसका तापमान दस लाख डिग्री केल्विन से ज्यादा है। क्रोड़ का तापमान डेढ़ करोड़ केल्विन तथा घनत्व जल से एक सौ पचास गुना ज्यादा है।


सूर्य की आंतरिक संरचना


जन्म
यह भरोसा करना ज़रा मुश्किल है कि अतीत में सूर्य का अस्तित्व नहीं था। पांच अरब वर्ष पूर्व आज के सौरमंडल की जगह गैस व धूल का विशाल महीन बादल पसरा हुआ था। धीरे-धीरे अपने स्वयं के गुरुत्व के अधीन बादल सिकुड़ने के साथ साथ गर्म व सघन होना शुरू हुआ। तत्पश्चात करीब-करीब समूची गैस बादल के केंद्र में एक गोले के भीतर खचाखच समा गई। फिर एक महत्वपूर्ण घटना घटी। गोले के भीतरी गहराई में तापमान संलयन शुरू करने लायक स्तर तक पहुंच गया। हाइड्रोजन हीलियम में तब्दील होना शुरू हुई। इससे प्रकाश व उष्मा की उत्पत्ति हुई। गैस का गोला अब एक तारा बन गया। यहीं हमारा सूर्य है।


सूर्य का गठन

आयु
सूर्य की आयु करीब साढ़े चार अरब वर्ष आंकी गई है। आयु के आकलन के लिए अनेक विधियां प्रयोग में लाई गई है | एक विधि में सौरमंडल को एक समवयस्क इकाई के रूप में गठित हुआ माना गया है | इस विधि के मुताबिक़ सौरमंडल के सभी निकायों का निर्माण साथसाथ हुआ है | जीवाश्म रिकॉर्ड तथा पुरानी चट्टानों के परिक्षण से पृथ्वी की उम्र साढ़े चार अरब वर्ष निकाली गई है | इस लिहाज से सूर्य की आयु भी कम से कम इतनी तो होनी ही चाहिए | एक अन्य विधि परमाणु दहन और तारों के गठन के सैद्धांतिक मॉडल को प्रयोग में लेती है । यह विधि तापमान, दीप्ती और द्रव्यमान की गणना कर तारों की उम्र की गणना करती है | यह विधि सूर्य सरीखे सैकड़ों तारों पर अजमाई गई। एक अनुमान के अनुसार यह विधि सूर्य के लिए लगभग साढ़े चार अरब वर्ष उम्र देती है | अंत में, हाल ही में विकसित एक नई तकनीक न्युक्लियोकॉस्मोक्रोनोलॉजी प्रयोग में लाई गई है । इसमे खगोलीय पिंडों की उम्र का निर्धारण रेडियोधर्मी तत्वों के क्षय को मापकर किया जाता है । कार्बन डेटिंग इसी तरह की एक विधि है | तारों और खगोलीय पिंडों के सबसे कीमती तत्व युरेनियम या थोरियम है । इनकी अर्ध-आयु बहुत लम्बी होती है | यह आयु ज्ञात करने का सबसे सटीक तरीका है । इस विधि को लागू करने पर सूर्य की आयु साढ़े चार अरब वर्ष के आसपास मिलती है | गणना में बीस करोड़ वर्ष की घट बढ़ की गुंजाइश है।

मृत्यु
सूर्य अपने जीवन के मध्य-पड़ाव के समीप है। फिलहाल उसकी आयु साढ़े चार अरब वर्ष है। यह अगले छह अरब वर्षों तक यूं ही जगमगाता रहेगा। हालांकि धीरे-धीरे इसके आकार और चमक में बढोत्तरी होती रहेगी| ग्यारह अरब वर्ष की आयु में सूर्य का केंद्रीय हाइड्रोजन भंडार समाप्त हो जाएगा | सूर्य अब तीव्र गति से एक नए चरण में प्रवेश करेगा जो विस्तारित होकर लाल वामन तारा बनने के लिए अपने केंद्रीय हीलियम को जलने के लिए प्रेरित करेगा | फिर करीब एक अरब सत्तर करोड़ वर्ष बाद हीलियम समाप्त हो जाने और अन्य तत्वों को जलाने में असमर्थ हो जाने पर सूर्य एक ग्रहीय निहारिका के रूप में अपना अधिकतर आवरण छिटक देगा | इस तरह एक श्वेत वामन के रूप में सूर्य का अंत हो जाएगा |

सूर्य का जीवनकाल 

एक सितारा
सूर्य एक पीला तारा है। खगोलविद कहते है यह रंग सूर्य का तापमान है। सूर्य की सतह का तापमान 10,500 डिग्री फेरनहाइट (5,800 डिग्री सेल्सियस) है। सफेद या नीला-सफेद तारें दस गुना तप्त हो सकते है, जबकि मंद लाल तारों का ताप सूर्य का आधा होता है।

आकार 
सूर्य आग का एक विराट गोला है। इसका व्यास लगभग 8,64,000 मील (13,90,000 किमी) है। पृथ्वी के आकार के दस लाख ग्रह इसमें समा सकते है। मनकों की माला की कल्पना कीजिये, यदि प्रत्येक मनका पृथ्वी के आकार का है, तो सूर्य की परिधि में पिरोने के लिए ऐसे 345 मनकों की जरुरत पड़ेगी। आप इस आंकड़े से सूर्य की विराटता का अनुमान लगा सकते है।