बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। सूर्य से यह क्रम में पांचवें पायदान पर है। इसका द्रव्यमान बाकी ग्रहों के कुल योग से भी कहीं ज्यादा है। सौरमंडल में सूर्य के वर्चस्व को केवल यहीं ग्रह चुनौती देता है। सौरमंडल में इसके दबदबे का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है, सूर्य के साथ इसका साझा द्रव्यमान केंद्र सूर्य के भीतर उसकी सतह के करीब स्थित है। इसने कई पिंडकों को दबोच कर अपने अधीन किया है। बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण धूमकेतुओं के पथ को भी विचलित कर देता है।

वायुमंडल
बृहस्पति एक गैसीय प्रकृति वाला ग्रह है। इसके वायुमंडल की बाहरी रूपरेखा बहुत सम्मोहक है। पृथ्वी से देखने पर इसकी सतह पर अनेक धारियां नजर आती है। सभी धारियां बृहस्पति की भूमध्यरेखा के समानांतर पायी गयी है। इनमें से कुछ धारियां गहरे रंग की है, तो कुछ फीके रंग की है। वैज्ञानिकों का मानना है, हर धारी वायुमंडल की एक निश्चित प्रकृति को दर्शाती है। बृहस्पति के मुख पर धारियों के आलावा अनेक अंडेनुमा रचनाएं भी पायी गयी है। यह अंडे भी धारियों की तरह वायुमंडल की प्रकृति को दर्शाती है। इनमें सबसे प्रधान अंडा है, विशालकाय लाल अंडा, जो एक भीमकाय चक्रवातीय तूफान है, और बृहस्पति के दक्षिणी गोलार्ध पर स्थित है। यह इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वियां समा सकती है। इनके आलावा सतह पर छोटे-छोटे कई सफ़ेद अंडे भी है। वायुमंडल के इन अंडों को परस्पर विलीन होते भी देखा गया है। इन अंडों को रंग अपने आकार के हिसाब से मिलते है, पर ऐसा क्यों है ? यह ज्ञात नहीं है।

अंवेषण 
बृहस्पति को प्राचीन काल से ही जान लिया गया है। सत्रहवीं सदी के उत्तरार्ध में गैलीलियो ने इसके चार उपग्रहों तक को अपने दूरबीन से ढूंढ लिया था। जिन्हे अब गैलिलियाई चन्द्रमा के रूप में जाना जाता है। इसका लाल अंडा तीन सौ सालों से दर्ज होता चला आ रहा है। बृहस्पति के अंवेषण के लिए भूमि पर स्थित वेधशाला के आलावा अंतरिक्ष यान का भी इस्तेमाल हुआ है। कैलिफोर्निया स्थित लीक वेधशाला ने बृहस्पति के अमाल्थिया उपग्रह को अपने दूरबीन में कैद किया था। वॉयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति के आठ उपग्रहों को खोज निकला था।