अमाल्थिया


अमाल्थिया

अमाल्थिया, विराट बृहस्पति ग्रह का छोटा सा चांद है। 9 सितंबर, 1892 को अमेरिकन खगोलविद एडवर्ड एमर्सन बर्नार्ड ने लीक वेधशाला पर 0.9 मीटर (36 इंच) वर्तक दूरबीन का प्रयोग कर इसे खोजा था। चार अंदरुनी छोटे चंद्रमाओं में से एक यह अनियमित आकार (270 किमी x 170 किमी x 150 किमी) का उपग्रह बृहस्पति की परिक्रमा आयो की कक्षा के भीतर रहकर करता है। अमाल्थिया की बृहस्पति से औसत दूरी 1,81,300 किमी, परिक्रमण काल 0.498 दिवस, और घूर्णन काल 0.498 दिवस है। इसका अर्थ है अमाल्थिया समकालिक घूर्णन में है, और उसके एक निश्चित भूभाग का रुख हमेंसा बृहस्पति की ओर रहता है। अमाल्थिया की कक्षा की विकेंद्रता 0.003 और झुकाव 0.40 डिग्री है।

इस छोटे से चांद पर क्रेटरों की भरमार है। उनमें से दो क्रेटर प्रमुख है। सबसे बड़ा क्रेटर है, पान, यह 90 किमी लंबा है और अमाल्थिया के उत्तरी गोलार्ध पर स्थित है। एक और बड़ा क्रेटर है, गाएया, यह 75 किमी लंबा है और अमाल्थिया के दक्षिण ध्रुव पर पसरा हुआ है। अमाल्थिया पर दो पर्वत भी है, मोंस इड़ा व मोंस लैक्टोस। अमाल्थिया एक श्याह पिंड है (0.06 एल्बिडो), और वर्ण लाल है। वास्तव में खगोलविदों का मानना है, अमाल्थिया सौरमंडल की सबसे लाल वस्तु है। अमाल्थिया का यह लाल रंग सल्फर के कारण है।

अमाल्थिया का अनुमानित द्रव्यमान लगभग 7.2 x 10^18 किलोग्राम, औसत घनत्व करीब 1.8 ग्राम/सेमी^3, सतही गुरुत्व का विचरण 0.054 व 0.083 मी/सेकंड^2 के मध्य, और पलायन वेग 0.084 किमी/सेकंड है।   अमाल्थिया की खरोंचों के मामले में मंगल के आलू के आकार के छोटे चांद फोबोस से समानता है। हालांकि अमाल्थिया फोबोस से 10 गुना बड़ा है, और अपने स्वामी ग्रह की परिक्रमा अत्यधिक दुर्गम हालत में करता है।

ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमाल्थिया एक अप्सरा थी, जिसने शिशु बृहस्पति का पोषण बकरी के दूध से किया था। 1610 में गैलीलियो गैलिली ने बृहस्पति के चार चंद्रमाओं कैलीस्टो, युरोपा, गेनीमेड, और आयो की खोजकर दूरबीन खगोल विज्ञान युग की शुरुआत की थी। उसके बाद से 1892 में खोजा गया अमाल्थिया प्रथम उपग्रह है। यह भी एक मजेदार संयोग है कि अमाल्थिया सीधे दृश्य प्रेक्षण से खोजा गया अंतिम उपग्रह है। अमाल्थिया के बाद के सारे चंद्रमा उन तस्वीरों के विश्लेषण से खोजे गये जो वॉयेजर या गैलीलियो जैसे अंतरिक्ष यानों द्वारा खींची गई थी।